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जुलाई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

झाडि़यों के बीच मिली जिंदा बच्ची

click here... http://youtu.be/o1pYkKABxfo इसे इतना शेयर करो कि बच्ची के दर्द की आवाज बेरहम ‘मां’ तक पहुच जाए। कोटपूतली के ग्राम गोपालपुरा के समीप आज (27/07/2014) सुबह जिंदा नवजात बच्ची मिली है। बच्ची को बेरहम ‘मां’ ने झाडि़यों के बीच पटक ा हुआ था, जिस पर चिंटिया लगने लग गई थी। झाडियों एवं चिंटियों के खरोच के निशान बच्ची पर आसानी से देखे जा सकते हैं। बच्ची को संभवतया आज तड़के ही झाडियों में पटका गया था, सुबह शौच के लिए निकले ग्रामीणों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर बच्ची को संभाला और कोटपूतली पुलिस को सूचना दी। कोटपूतली पुलिस ने तत्परता बरतते हुए बच्ची को कोटपूतली के राजकीय बीडीएम अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां बच्ची का इलाज जारी है। पुलिस व डॉक्टरों के अनुसार बच्ची संभवतया दो या तीन पहले पैदा हुई है। पुलिस बच्ची के निर्दयी मां-बाप की तलाश में जुट गई है।

बालवाहिनी के नाम पर ‘दुघर्टना वाहिनी’ दौड़ा रहे स्कूल

बालवाहिनी के नाम पर ‘दुघर्टना वाहिनी’ दौड़ा रहे स्कूल     कोटपूतली। कस्बे में सैकडों निजी विद्यालय हैं जिनमें परिवहन व्यवस्था के लिये बाल वाहिनी के नाम पर स्कूल संचालकों ने बसों व टैम्पों की व्यवस्था कर रखी है लेकिन सुरक्षा मानकों को लेकर ना कोई संस्था गंभीर है और ना ही परिवहन विभाग और ना ही अभिभावक। नतीजतन संस्था प्रधानों द्वारा मामूली से लालच को लेकर छात्र छात्राओं की जिंदगी के साथ सरेआम खिलवाड किया जा रहा है। शिक्षा विभाग व परिवहन विभाग की उदासीनता के चलते निजी विद्यालय परिवहन के नाम पर छात्रों के अभिभावकों से मोटी रकम वसूल कर रहे हैं लेकिन सुरक्षा व्यवस्थाओं की बात करें तो इन संस्थाओं में ढाक के तीन पात नजर आते हैं। बीस सीटर मिनी बसों में चालीस से पचास विद्यार्थियों को ठूंस ठूंस कर भर दिया जाता है जिससे आये दिन बाल वाहिनियों से मासूम छात्रों व उनके परिवार की जिंदगी तबाह हो रही है।     स्कूल संचालकों के जरा से लालच की वजह से आए दिन स्कूली छात्र दुघर्टना का शिकार होते रहते हैं। पिछले दिनों ऐसी ही लापरवाही की वजह से एक छात्र अपना जीवन गंवा बैठा, जब बाल वाहिनी के नाम पर एक ट्रेवल्स