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मेरा लाड़ला...

यूं ही नहीं उलझता ट्रेफिक?

हाइवे पर पुलिया निर्माण कार्य के चलते सब्जी मंडी तिराहे से लेकर आरटीएम होटल तक यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। घड़ी-घड़ी जाम और आपस में उलझता ट्रैफिक, व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है। ऐसा नहीं है कि व्यवस्था को संभालने या टैªफिक को काबू में करने के लिए कोई मौजूद नहीं रहता है, अगर चैराहों पर थोड़ी देर खड़े रहकर देखें तो ‘हर चैराहे पर 40 से 45 जवान तैनात दिखेगें, लेकिन इनकी उपस्थिति यहां ‘नगण्य -सी’ रहती है।...यानी उपस्थित रहकर भी अनुपस्थित। कोटपूतली शहर हाइवे के दो-तरफ बसा हुआ है, इसलिए यहां लोकल टैªफिक अधिक रहता है और अधिकतर वाहन शहर के मुख्य चैराहे एवं दीवान रीजेन्सी के सामने सब्जी मंड़ी तिराहे से शहर में प्रवेश करते हैं। यहां व्यवस्था संभालने के लिए प्रशासन ने काफी संख्या में होम गार्ड एवं पुलिस के जवान मुस्तैद कर रखे हैं। लेकिन इनकी हालत ये है कि बिगड़ती व्यवस्था को ये मूकदर्शक बने देखते रहते हैं, यहां तक कि किसी के टोकने पर भी ये किसी को टोकना उचित नहीं समझते...और अगर किसी को टोक लेते हैं तो फिर गाड़ी को कोने में लगवाये बिना नहीं छोड़ते हैं। ऐसी व्यवस्था के कारण हालात ये रह

आज तुम फिर खफा हो

आज तुम फिर खफा हो मुझसे, जानता हूँ मैं, न मनाऊगा तुमको, इस बार मैं। तुम्हारा उदास चेहरा, जिस पर झूठी हसी लिये, चुप हो तुम, घूमकर दूर बैठी, सर को झुकाये, बातों को सुनती, पर अनसुना करती तुम, ये अदायें पहचानता हूँ मैं, आज तुम फिर खफा हो मुझसे, जानता हूँ मैं। नर्म आखों में जलन क्यों है? सुर्ख होठों पे शिकन क्यों है? चेहरे पे तपन क्यों है? कहती जो एक बार मुझसे, तुम कुछ भी, मानता मै, लेकिन बिन बताये क्यों? आज तुम फिर खफा हो मुझसे, जानता हूँ मै।।