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बीच बाजार रखे हैं ‘गैस बम’

कोटपूतली। बाजारों में दीपावली की रौनक दिखाई देने लगी हैं। करीब 2 माह की मंदी के बाद बाजारों में ग्राहकी लौट आई है। ...लेकिन इसी बीच बाजार में बीचों-बीच चाय की थडि़यों, ढ़ाबों और होटलों के बाहर सड़क पर रखे घरेलु रसोई गैस सिलेण्डर कभी भी किसी हादसे का कारण बन सकते हैं। इस तरह बाजार में खुले में रसोई गैस सिलेण्डरों का उपयोग होने से ना केवल घरेलु उपभोक्ताओं को रसोई गैस की किल्लत झेलनी पड़ती है, बल्कि बीच-बाजार इनसे हादसा हो जाने पर होने वाले जान-माल के नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। गौरतलब है कि इस तरह सिलेण्डर के उपयोग से जयपुर, दिल्ली और गुड़गांव जैसे शहरों में पहले हादसे हो चुके हैं, लेकिन कोटपूतली प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया है। कालाबाजारी का सबूत बाजार में कदम- कदम पर रखे रसोई गैस सिलेण्डर, सिलेण्डरों की कालाबाजारी का जीता- जागता सबूत है। रसोई गैस का व्यावसायिक उपयोग लेने के लिए उपयोगकर्ता ब्लैक में ही सिलेण्डर उठाता है बावजूद इसके इन पर कभी विभागीय कार्रवाही नहीं हो पाई है।

खून से लाल है डामर, होटल दीवान से कोटपूतली चैराहे तक

https://www.facebook.com/vikasverma.kotputli खून से लाल है डामर, होटल दीवान से कोटपूतली चैराहे तक पर अफसोस, हर बार सीने पर आश्वासनों की डामर बिछाई जाती है। मानो जैसे सही कह रहा हो यह खूनी ट्रक ‘ग्रेट इंडिया’  'एक और तमन्ना' ''प्राण जाए पर वचन ना जाए'' ‘ओवरलोड लेकर चलेगें ही?

वार्ड के विशेष हिस्से में सफाई, बाकी हिस्से से ‘अभियान साफ’

वार्ड के विशेष हिस्से में सफाई, बाकी हिस्से से ‘अभियान साफ’ कोटपूतली। पालिका प्रशासन कोटपूतली की ओर से 30 सितम्बर, बुधवार से शुरु हुआ स्वच्छता अभियान महज तीन दिन में ही दम तोड़ने लगा है। एक दिन में तीन वार्डों को एक साथ निपटा रही पालिका के ठेकेदार के पास कहने को तो 30 सफाईकर्मियों की टीम है, यानी प्रत्येक वार्ड के लिए 10 सफाईकर्मी। लेकिन कुल 10 सफाईकर्मियों की टीम वार्डों के विशाल क्षेत्रफल के आगे बौनी नजर आ रही है, नतीजा स्वच्छता अभियान शुरुआत से पहले ही दम तोड़ने लगा है। ग त तीन दिन के अन्तराल में शहर के वार्ड 1 से वार्ड 5 तक चले स्वच्छता अभियान में प्रत्येक वार्ड के विशेष हिस्से में ही अभियान की ‘सफाई’ दिखाई दी है अन्यथा तो वार्ड के अधिकतम हिस्से से ‘अभियान साफ’ है। वार्डवासियों ने बताया कि सफाई अभियान में लगे सफाईकर्मी समयाभाव के कारण समूचे वार्ड में नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहीं सफाई ठेकेदार और पालिका प्रशासन खानापूर्ती कर अगले दिन अगले वार्ड में बढ़ रहे हैं। पालिका प्रशासन के इस रैवये के चलते वार्डों में ‘भेदभाव’ और चहेतों को लाभ पहुंचाने के चर्चे चल पड़े हैं। मौजूदा वार

बानसूर को चाहिए सरकारी काॅलेज

बानसूर को चाहिए सरकारी काॅलेज बानसूर। बानसूर से सरकारी काॅलेज की मांग उठने लगी है। इसको लेकर 2 मार्च को बानसूर एसडीएम ममता यादव को शिक्षामंत्री के नाम छात्र शक्ति की ओर से एक ज्ञापन भी सोंपा जाएगा। इसको लेकर मांग उठाने वाले छात्र शक्ति के अध्यक्ष भीम सिंह सैनी ने सोशल साइट्स के जरिए बानसूर एवं आसपास के छात्र-छात्राओं से समर्थन मांगा है। उल्लेखनीय है कि बानसूर कस्बे में शिक्षा की दृष्टि से उचित वातावरण है। यहां सरकारी व गैर सरकारी विद्यालय तो काफी हैं लेकिन सरकारी महाविद्यालय एक भी नहीं है। जिसके चलते यहां के युवा छात्र-छात्राओं को 15-20 किलोमीटर प्रतिदिन काॅलेज के लिए अप-डाउन करना पड़ता है। सर्दी और बरसात के मौसम में छात्राओं के लिए काॅलेज से घर और घर से काॅलेज तक का सफ़र नासूर बन जाता है। कारण कि आसपास के गांव ढ़ाणियों से चलकर छात्र-छात्राओं को पहले बानसूर पहुंचना होता है और फिर बानसूर से अन्य साधन से काॅलेज। इस दौरान अध्ययनकाल में से काॅलेज छात्र-छात्रा 4-5 घण्टे यात्रा में ही गंवा देते हैं। ...कहने का अर्थ है बानसूर एवं इसके आसपास के युवाओं के लिए बानसूर में काॅलेज का ना

एक सफ़र.... जिंदगी से जिंदगी के लिए..

एक सफ़र.... जिंदगी से जिंदगी के लिए.... कृपया पूरा विडियो देखें...और अच्छा लगे तो शेयर करें... और देखें... http://youtu.be/kYMVeyRfE78 https://www.facebook.com/video.php?v=788731317829308&set=vb.100000773404592&type=2&theater