युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर, सरकार दे रही है बुजुर्गों को नई नौकरी जब किसी आदमी की कोई मजबूरी होती है तो वो परिस्थितियों से समझौता करता है और किसी तरह अपना काम चलाने की वैकल्पिक व्यवस्था करता ही हैै। प्रदेश में हर साल लाखों छात्र पढ़ लिखकर, डिग्रियां लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालयों से रोजगार की तलाश में बाहर निकलते है और रोज एक नई दिशा लेकर उठते हैं कि आज उनको कहीं कोई नौकरी का अवसर मिल जाये। हमारे प्रदेश में भरपूर युवा शक्ति मौजूद होते हुए भी (वो भी बेरोजगार) हमारी सरकार की पता नहीं कौनसी मजबूरी है कि वो युवाओं को रोजगार देने की बजाय सेवानिवृत कर्मचारियों को ही और दो साल रखकर उनसे काम चलाना चाहती है। दो साल बाद क्या हो जाएगा? क्या दो साल बाद ये विभाग नहीं रहेगें या कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहेगी। फिर भी तो नई भर्ती करनी ही होगी ना? अगर आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाये तो शायद यह फायदे का सौदा नहीं है क्योंकि एक तरफ तो शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देना पड़ता है और दूसरा उनकी बेरोजगारी की अवधि और दो साल बढ़ गयी, तो युवाओं में असंतोष फैलेगा और सेवानिवृत कर्मचारी ...