युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर, सरकार दे रही है बुजुर्गों को नई नौकरी
जब किसी आदमी की कोई मजबूरी होती है तो वो परिस्थितियों से समझौता करता है और किसी तरह अपना काम चलाने की वैकल्पिक व्यवस्था करता ही हैै।
प्रदेश में हर साल लाखों छात्र पढ़ लिखकर, डिग्रियां लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालयों से रोजगार की तलाश में बाहर निकलते है और रोज एक नई दिशा लेकर उठते हैं कि आज उनको कहीं कोई नौकरी का अवसर मिल जाये। हमारे प्रदेश में भरपूर युवा शक्ति मौजूद होते हुए भी (वो भी बेरोजगार) हमारी सरकार की पता नहीं कौनसी मजबूरी है कि वो युवाओं को रोजगार देने की बजाय सेवानिवृत कर्मचारियों को ही और दो साल रखकर उनसे काम चलाना चाहती है। दो साल बाद क्या हो जाएगा? क्या दो साल बाद ये विभाग नहीं रहेगें या कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहेगी। फिर भी तो नई भर्ती करनी ही होगी ना? अगर आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाये तो शायद यह फायदे का सौदा नहीं है क्योंकि एक तरफ तो शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देना पड़ता है और दूसरा उनकी बेरोजगारी की अवधि और दो साल बढ़ गयी, तो युवाओं में असंतोष फैलेगा और सेवानिवृत कर्मचारी को नये के मुकाबले वेतन भी ज्यादा देना पड़गा। क्योंकि सरकार उनको पेंशन घटाकर वेतन देने की बात कर रही हैै तो अगर आज एक कर्मचारी 30,000 रूपये मासिक वेतन पाता है तो पेंशन घटाकर भी उसका वेतन 14.15 हजार रूपए तो हो ही जायेगा। अब अगर नई भर्ती से उसी पद पर कोई युवा आता है तो दो साल तो उसका परिविक्षा काल ही रहेगा और उस दौरान उसको निश्चित वेतन के तौर पर 8 से 10 हजार रूपये तक ही देने पड़गें।
इसके बावजूद भी अगर सरकार को कुछ आर्थिक फायदा होता भी है तो बेरोजगारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए नई भर्ती से ही पद भरने चाहिए। क्योंकि इससे प्रदेश को दो तरह से फायदा होता है, एक तो बेरोजगारी दूर होगी, दूसरा प्रदेश को युवा कर्मचारी मिलेगें जिनमें कुछ कर दिखाने का, कुछ बनने का सपना होता है, उमंग होती है, उत्साह होता है। सेवानिवृत तो सेवानिवृत ही होते हैं वो तो बन चुके उनको जो बनना था, उन्होंने तो कर लिया जो उनको करना था। अगर सरकार युवाओं पर ध्यान दे तो ज्यादा लाभदायक रहेगा, युवाओं के लिए भी, समाज के लिए भी व देश के लिए भी।

प्रदेश में हर साल लाखों छात्र पढ़ लिखकर, डिग्रियां लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालयों से रोजगार की तलाश में बाहर निकलते है और रोज एक नई दिशा लेकर उठते हैं कि आज उनको कहीं कोई नौकरी का अवसर मिल जाये। हमारे प्रदेश में भरपूर युवा शक्ति मौजूद होते हुए भी (वो भी बेरोजगार) हमारी सरकार की पता नहीं कौनसी मजबूरी है कि वो युवाओं को रोजगार देने की बजाय सेवानिवृत कर्मचारियों को ही और दो साल रखकर उनसे काम चलाना चाहती है। दो साल बाद क्या हो जाएगा? क्या दो साल बाद ये विभाग नहीं रहेगें या कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहेगी। फिर भी तो नई भर्ती करनी ही होगी ना? अगर आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाये तो शायद यह फायदे का सौदा नहीं है क्योंकि एक तरफ तो शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देना पड़ता है और दूसरा उनकी बेरोजगारी की अवधि और दो साल बढ़ गयी, तो युवाओं में असंतोष फैलेगा और सेवानिवृत कर्मचारी को नये के मुकाबले वेतन भी ज्यादा देना पड़गा। क्योंकि सरकार उनको पेंशन घटाकर वेतन देने की बात कर रही हैै तो अगर आज एक कर्मचारी 30,000 रूपये मासिक वेतन पाता है तो पेंशन घटाकर भी उसका वेतन 14.15 हजार रूपए तो हो ही जायेगा। अब अगर नई भर्ती से उसी पद पर कोई युवा आता है तो दो साल तो उसका परिविक्षा काल ही रहेगा और उस दौरान उसको निश्चित वेतन के तौर पर 8 से 10 हजार रूपये तक ही देने पड़गें।
इसके बावजूद भी अगर सरकार को कुछ आर्थिक फायदा होता भी है तो बेरोजगारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए नई भर्ती से ही पद भरने चाहिए। क्योंकि इससे प्रदेश को दो तरह से फायदा होता है, एक तो बेरोजगारी दूर होगी, दूसरा प्रदेश को युवा कर्मचारी मिलेगें जिनमें कुछ कर दिखाने का, कुछ बनने का सपना होता है, उमंग होती है, उत्साह होता है। सेवानिवृत तो सेवानिवृत ही होते हैं वो तो बन चुके उनको जो बनना था, उन्होंने तो कर लिया जो उनको करना था। अगर सरकार युवाओं पर ध्यान दे तो ज्यादा लाभदायक रहेगा, युवाओं के लिए भी, समाज के लिए भी व देश के लिए भी।
shandar...अगर सरकार युवाओं पर ध्यान दे तो ज्यादा लाभदायक रहेगा, युवाओं के लिए भी, समाज के लिए भी व देश के लिए भी।
जवाब देंहटाएंबेरोजगारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए नई भर्ती से ही पद भरने चाहिए---सही है
जवाब देंहटाएंpankaj, kotputli