सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

यूं ही नहीं उलझता ट्रेफिक?

हाइवे पर पुलिया निर्माण कार्य के चलते सब्जी मंडी तिराहे से लेकर आरटीएम होटल तक यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। घड़ी-घड़ी जाम और आपस में उलझता ट्रैफिक, व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है। ऐसा नहीं है कि व्यवस्था को संभालने या टैªफिक को काबू में करने के लिए कोई मौजूद नहीं रहता है, अगर चैराहों पर थोड़ी देर खड़े रहकर देखें तो ‘हर चैराहे पर 40 से 45 जवान तैनात दिखेगें, लेकिन इनकी उपस्थिति यहां ‘नगण्य -सी’ रहती है।...यानी उपस्थित रहकर भी अनुपस्थित।



कोटपूतली शहर हाइवे के दो-तरफ बसा हुआ है, इसलिए यहां लोकल टैªफिक अधिक रहता है और अधिकतर वाहन शहर के मुख्य चैराहे एवं दीवान रीजेन्सी के सामने सब्जी मंड़ी तिराहे से शहर में प्रवेश करते हैं। यहां व्यवस्था संभालने के लिए प्रशासन ने काफी संख्या में होम गार्ड एवं पुलिस के जवान मुस्तैद कर रखे हैं। लेकिन इनकी हालत ये है कि बिगड़ती व्यवस्था को ये मूकदर्शक बने देखते रहते हैं, यहां तक कि किसी के टोकने पर भी ये किसी को टोकना उचित नहीं समझते...और अगर किसी को टोक लेते हैं तो फिर गाड़ी को कोने में लगवाये बिना नहीं छोड़ते हैं।

ऐसी व्यवस्था के कारण हालात ये रहते हैं कि लोकल टैªफिक तो आपस में उलझता ही है साथ में हाइवे पर भी वाहनों की लम्बी कतार लग जाती है। इसका सीधा और गहरा असर हाइवे किनारे स्थित राजकीय बीडीएम अस्पताल में आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है, कारण कि हाइवे जाम हो जाने के बाद छोटे वाहन अस्पताल के सामने की सर्विस लाइन पर आ जाते हैं और अस्पताल में आने-जाने वाले लोगों का रास्ता बंद हो जाता है।

इस चैराहे से उस चैराहे तक बस स्टैण्ड

हाइवे के मुख्य चैराहे से अगले चैराहे तक सड़क किनारे यात्रियों की भारी भीड़ लगी रहती है। यहां ना तो यात्रियों को पता कि बस कहां रूकेगी और ना ही बस चालक को पता होता कि बस कहां रोकनी है। सवारियां चलती बस में ही चढ़ती-उतरती रहती हैं, इससे कभी भी कोई दुघर्टनाग्रस्त हो सकता है। गलती से अगर बस सड़क पर रूक जाती है तो पीछे वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। इतना सब कुछ महज बस स्टैण्ड निर्धारित ना होने के कारण हो रहा है।

वाहन पार्किंग भी इसी सड़क पर

यातायात की ऐसी स्थिति के बावजूद यहां सड़क किनारे स्थित विभागों एवं दुकान पर आने वाले लोग अपने वाहन इसी सड़क के किनारे खड़ा देते हैं जिससे भारी वाहनों को गुजरने में परेशानी होती है, और फिर यातायात अधिक धीमा हो जाने के कारण दवाब भी बढ़ता चला जाता है।

उल्टी दिशा में संचालित यातायात


शहर के दीवान होटल के पास से एसबीबीजे बैंक तक हाइवे से सटी कॉलोनियों एवं दुकानदार लोग घूमकर आने की बजाय उल्टी दिशा में ही यातायात संचालन करते हैं, इस कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। ...लेकिन इसे रोकने की कोई कौशिश नहीं की जा रही है। इन सबके बीच लोगों में चर्चा रहती है हाइवे पर यातायात संभालने के लिए भारी संख्या में जवान तैनात करने के बाद भी स्थिति ऐसी क्यों है?

टिप्पणियाँ

  1. दोस्त, सुना है! आपके 'न्यूज़ चक्र' ने कोटपुतली सहित संपूर्ण राजस्थान को हिला रखा है. आप बधाई के पात्र हो. आगे भी इसे ही चक्र चलता रहे.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कोरोना को हराकर लौटे गोयल, समर्थकों ने जताई खुशी

न्यूज चक्र, कोटपूतली। भाजपा नेता मुकेश गोयल की कोरोना रिर्पोट नेगेटिव आ गई है। गोयल ने अपने प्रशंसको के लिए यह जानकारी खुद सोशल मीडिया पर शेयर की है। गोयल के कोरोना पर जीत हासिल कर लौटने पर समर्थकों ने खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि भाजपा नेता मुकेश गोयल गत 14 सितम्बर से ही अस्वस्थ चल रहे थे और जयपुर के दुर्लभजी अस्पताल में उपचार ले रहे थे। गोयल की 24 सितम्बर को कोरोना रिर्पोट पाॅजिटिव पाई गई थी। फिलहाल गोयल स्वस्थ हैं और कोरोना रिर्पोट भी नेगेटिव आ गई है। लेकिन फिलहाल चिकित्सकीय सलाह पर एक सप्ताह के लिए होम आइसोलेशन रहेगें। समर्थकों ने किया हवन, मांगी दिर्घायू भाजपा नेता मुकेश गोयल के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना को लेकर लक्ष्मीनगर स्थित श्रीराम मंदिर में भाजपा कार्यकर्ता व समर्थक हवन का आयोजन कर पूजा अर्चना भी कर रहे थे। गोयल के स्वस्थ होकर कोटपूतली निवास पर लौट आने पर सर्मथकों ने खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि अपने विभिन्न सामाजिक कार्यों में भागीदारी के चलते मुकेश गोयल समर्थकों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं।

खून से लाल है डामर, होटल दीवान से कोटपूतली चैराहे तक

https://www.facebook.com/vikasverma.kotputli खून से लाल है डामर, होटल दीवान से कोटपूतली चैराहे तक पर अफसोस, हर बार सीने पर आश्वासनों की डामर बिछाई जाती है। मानो जैसे सही कह रहा हो यह खूनी ट्रक ‘ग्रेट इंडिया’  'एक और तमन्ना' ''प्राण जाए पर वचन ना जाए'' ‘ओवरलोड लेकर चलेगें ही?

किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

  किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ... कहते हैं हाथों की लकीरों पर भरोसा मत कर , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। जी हां , इस कथनी को करनी में बदल दिया है राजस्थान की कोटपूतली तहसील के नारेहड़ा गांव की 14 वर्षीय मुखला सैनी ने। मुखला को कुदरत ने जन्म से ही हाथ नहीं दिये , लेकिन मुखला का हौसला , जज्बा और हिम्मत देखिए , उसने ‘ करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान ’ कहावत को भी चरितार्थ कर दिखाया है , अब वह अपने पैरों की सहायता से वह सब कार्य करती है जो उसकी उम z के अन्य सामान्य बच्चे करते हैं। कुदरत ने मुखला को सब कुछ तो दिया , लेकिन जीवन के जरूरी काम-काज के लिए दो हाथ नहीं दिये। बिना हाथों के जीवन की कल्पना करना भी बहुत कठिन है , लेकिन मुखला ने इसे अपनी नियति मान कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। हाथ नहीं होने पर अब वह पैरों से अपने सारे काम करने लग गई है। पढ़ने की ललक के चलते मुखला पैरों से लिखना सीख गई है और आठवीं कक्षा में पहुंच गई है। मुखला को पैरों से लिखते देखकर हाथ वालों को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा लेनी चाहिए...