जयपुर, (30 अप्रैल)। कन्या भ्रुण हत्या रोकने का संदेश देने
हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके निवास स्थान पर ‘कन्या भ्रुण हत्या
रोकने के लिए गर्भ समापन और सोनोग्राफी के कानूनों को जानिए’ पुस्तक की एक
प्रति, पुस्तक के लेखक सत्यनारायण पाटोदिया, डायरेक्टर, सेन्टर फार पब्लिक
अवेयरनेस एण्ड इन्फार्मेशन ने मुख्यमंत्री गहलोत को भेंट की। इसके साथ ही
कन्या भ्रुण हत्या रोकने के लिए पोस्टर का विमोचन भी मुख्यमंत्री गहलोत ने
किया। इस अवसर पर पुस्तक की सह लेखिका डा. अंशु पाटोदिया और मीरा अस्पताल,
बनीपार्क, जयपुर की मेडिकल डायरेक्टर डा. मीरा पाटोदिया भी उपस्थित रही।
किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ... कहते हैं हाथों की लकीरों पर भरोसा मत कर , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। जी हां , इस कथनी को करनी में बदल दिया है राजस्थान की कोटपूतली तहसील के नारेहड़ा गांव की 14 वर्षीय मुखला सैनी ने। मुखला को कुदरत ने जन्म से ही हाथ नहीं दिये , लेकिन मुखला का हौसला , जज्बा और हिम्मत देखिए , उसने ‘ करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान ’ कहावत को भी चरितार्थ कर दिखाया है , अब वह अपने पैरों की सहायता से वह सब कार्य करती है जो उसकी उम z के अन्य सामान्य बच्चे करते हैं। कुदरत ने मुखला को सब कुछ तो दिया , लेकिन जीवन के जरूरी काम-काज के लिए दो हाथ नहीं दिये। बिना हाथों के जीवन की कल्पना करना भी बहुत कठिन है , लेकिन मुखला ने इसे अपनी नियति मान कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। हाथ नहीं होने पर अब वह पैरों से अपने सारे काम करने लग गई है। पढ़ने की ललक के चलते मुखला पैरों से लिखना सीख गई है और आठवीं कक्षा में पहुंच गई है। मुखला को पैरों से लिखते देखकर हाथ वालों को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा लेनी चाहिए...
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