कोटपूतली (विकास वर्मा)। जी हां, सही पढ़ा आपने। कोटपूतली शहर की अस्पताल भी अब तय मापदण्डों से परे मनमाने रूप से मरीजों से खिलवाड़ करने पर उतारू हैं और इन सब से अनजान मरीज अनजाने में एक भंयकर बीमारी जो एड्स, हिपेटाइटिस जैसी जानलेवा भी हो सकती हैं, को अपने शरीर में जगह दिला लाता है।
जहां एक तरफ ‘एड्स’ का नाम सुनते ही किसी भी अच्छे भले आदमी की रूह कांप जाती हैं और सरकार इस बीमारी से निपटने के लिए करोड़ों-अरबों रूपयों का बजट खर्च कर रही है। वहीं जयपुर के बाद दिल्ली-जयपुर के बीच सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ‘बीडीएम अस्पताल’ मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ करने पर उतारू है। यहां अस्पताल की लैब में मरीज की खून जांच करने हेतु खून का नमूना लेते समय लैब स्टाॅफ द्वारा बरती जा रही लापरवाही किसी भी मरीज की जिंदगी बरबाद करने के लिए काफी है।
क्या दृश्य दिखाई दिया लैब में...
न्यूज चक्र टीम जैसे ही बीडीएम अस्पताल की लैब में पहंुची तो वहां मरीजों से रक्त के नमूने लिए जा रहे थे। लेकिन नियम-कायदों को ताक पर रखकर। रक्त का नमूना ले रहे कर्मचारी ने एक के बाद एक करके कुल 8 मरीजों के रक्त के नमूने लिए, लेकिन इस दौरान उसने हाथ धोना तो दूर की बात एक बार भी हाथों में पहने गए दस्ताने भी नहीं बदले। जबकि इस दौरान पहने हुए दस्तानों पर मरीजों का खून लगता रहा और इन सबको नजरअंदाज कर कर्मचारी एक के बाद एक मरीज का खून नमूना लेता रहा। इस दौरान वह इन्हीं हाथों से ;बगैर दस्ताने निकाले हुएद्ध पैन, पर्ची, स्लाइड, टैस्ट ट्यूब उठाता रहा।
अब जरा सोचिए, अगर इस दौरान कोई एड्स से ग्रस्त रोगी ;जिसे पता ना हो कि उसे एड्स हैद्ध किसी अन्य रोग की जांच के लिए अपना खून सैम्पल देता है और उस मरीज का खून लेने के बाद उसके खून की बूंदे भी कर्मचारी के दस्ताने पर लग जाती हैं और उसके बाद भी कर्मचारी उन्हीं दस्तानों से आगे आने वाले सभी मरीजों का खून नमूना लेता रहता है.....तो क्या अस्पताल के डाॅक्टर या प्रशासन यह गारंटी दे सकता है कि आगे के सभी मरीज एड्स के शिकार नहीं होगें?...शायद नहीं,...तो फिर मरीजों के साथ यह खिलवाड़ क्यों।
...और यह तो केवल कोटपूतली के सरकारी अस्पताल की बानगी है, शहर के गैर सरकारी अस्पतालों में भी स्थिति ऐसी ही है फर्क सिर्फ इतना है कि वहां मरीजों की तादाद कम रहती है।
जहां तक मरीज सोचते हैं एड्स जैसी घातक बीमारी सिर्फ असुरक्षित यौन संबंध या दूषित रक्त चढ़ाने से हो सकती है। परन्तु यर्थाथ में एड्स उस किसी भी स्थिति में हो सकता है जहां पर एड्स संक्रमित रक्त या उससे संक्रमित सूईयां, दस्ताने, औजार, हाथ एक स्वस्थ व्यक्ति के खून के सम्पर्क में आते हों। जैसा कि ऊपर बतायी स्थिति में हो रहा है।
क्या ध्यान रखें जब खून जांच करायें...
कहते हैं अपनी सुरक्षा अपने ही हाथ रहती है। हमें बसों व स्टेशनों पर लिखे उस वाक्य को सदा याद रखना चाहिए कि ‘यात्री अपने सामान की रक्षा स्वयं करें’। यही बात हमें अस्पताल में भी ध्यान रखनी चाहिए कि किसी बीमारी का इलाज कराने की बजाय कहीं भूलवश हम कोई बीमारी साथ तो नहीं लेकर आ रहे हैं।
अमूमन खून का नमूना देते समय व दांत इत्यादि चैकअप करवाते समय तो हमें सावधान रहना ही चाहिए, क्योंकि दोनों ही जगह ऐसी हैं जहां बीमारी कटती भी है और बीमारी मिल भी सकती है। यहां हमें ध्यान रखना चाहिए कि डाॅक्टर ने हाथों में नये दस्ताने पहन रखे हैं कि नहीं या एक मरीज के चैकअप या जांच के बाद अपने हाथों को धोए हैं कि नहीं। जो औजार आपके खून का नमूना लेने या दांत चैकअप के दौरान काम में लिए जा रहे हैं वो साफ हैं कि नहीं। ...अगर आपको ऐसा नहीं मिलता है तो आप बेझिझक इसके लिए डाॅक्टर को टोकिए..अन्यथा आपको क्या भुगतना पड़ सकता है उसके लिए तैयार रहें।
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