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ओवरलोड चलते हैं, और...पलट जाते हैं...यमदूत बनकर

    यह किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि एक ऐसी दुखद हकीकत है, जिसे कोटपूतली के बाशिंदे हर रोज झेलते हैं। गांव से मजदूरी पर निकला कोई मजदूर हो या किसी कम्पनी का ओहदेदार प्रशासनिक अधिकारी।...हर किसी के जहन में बस एक ही डर रहता है कि पता नहीं ‘कोटपूतली क्राॅस ’ हो पाएगा कि नहीं? पता नहीं जाम में फंस जांए या जान ही चली जाए।
    कोटपूतली में सर्विस लाइन को लेकर आए दिन होने वाली दुर्घटनाऐं इसी ओर इशारा करती हैं कि ‘यहां चलना खतरे से खाली नहीं हैं।’  अगर यकीन ना हो तो कोटपूतली मैन चैराहे से लक्ष्मीनगर मोड़ तक की सर्विस लाइन के हालात देख आइए। यकीनन आपके चेहरे का रंग तो बदरंग नजर आएगा ही सेहत भी डाॅक्टर की सलाह लेने को कहने लगेगी।
    ...लेकिन इन सब से शायद हमारे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को कोई खास मतलब नहीं है, तभी तो दिन में एक-दो दफा़ यहां से अगर गुजरते भी हैं तो आंखे मूंदकर। (ऊपर) न्यूज चक्र द्वारा कोटपूतली पुलिया से डाबला रोड़ पर ली गई ये तस्वीरें ओवरलोडेड डम्परों की स्पष्ट तस्वीरें बता रही हैं कि दिनदहाड़े कैसे कोटपूतली प्रशासन के नाक के नीचे ओवरलोडेड वाहनों का आवागमन होता है।...और तो और किसी ओवरलोड वाहन द्वारा रास्ता जाम हो जाने पर उसके खिलाफ कोई खास कार्रवाही नहीं होती।
    यह सब यहां कोटपूतली के बाशिंदे भुगतने को मजबूर हैं।
    ऐसे ही पीड़ा से तंग आकर कोटपूतली नगरपालिका के वार्ड 12 के पार्षद भीखाराम सैनी ने निर्माण कम्पनी के परियोजना निदेशक सुभाष जानू व एक डम्पर ड्राइवर पर नामजद इस्तगासा पेश किया है। वहीं दूसरी ओर मोलाहेड़ा गांव के बाशिंदांे ने भी गांव के मुख्य द्वार के सामने केवल राहगीरों के लिए अण्डरपास देने का विरोध करते हुए राजमार्ग को आधे घण्टे तक जाम कर विरोध दर्ज कराया। जबकि समस्या लक्ष्मीनगर मोड़, गोपालपुरा मोड़ एवं बीडीएम अस्पताल के मरीजों के लिए भी नासूर बनी हुई है।

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