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प्रश्न- आईएएस बनने के बारे में कब सोचा और इसके लिए कब से तैयारी आरंभ की?
यह एग्जाम देने का मन मैंने काॅलेज में ही बना लिया था. ग्रेजुएशन करके 6 महीने नौकरी करने के बाद इस्तीफा दे कर मैंने फिर नियमित रूप से इसकी तैयारी शुर्रु कर दी।
प्रश्न- इस परीक्षा में यह आपका कौन-सा अटेम्प्ट था? पहले के प्रयासों से क्या सबक लिए?
यह पूरी तैयारी के साथ मेरा पहला प्रयास था हालांकि कॉलेज में पढ़ते हुए भी मैंने एक प्रयास दे दिया था। सबक लेने के लिए मैंने उन लोगों से संपर्क किया जो पहले से तैयारी कर रहे कर रहे थे ताकि मुझे पता चल सके क्या पढ़ना है और कैसे उत्तर लिखे जाते हैं।
प्रश्न- अपना परिणाम जानने से पहले आप टाॅपर्स के बारे में क्या सोचते थे?
मेरा सदा से यही मानना रहा है की कोई भी मेहनत और लगन के साथ इस परीक्षा में अच्छा स्थान ला सकता हैं और इन गुणों के लिए में उनका बहुत सम्मान करता था
प्रश्न- मुख्य परीक्षा आपने किन-किन ऐच्छिक विषयों को चुना था?
मैथ्स (गणित)
प्रश्न- क्या आपने इस खास परीक्षा के लिए कोई खास स्ट्रेटेजी अपनाई?
कोई ख़ास स्ट्रेटेजी नहीं थी। बस ये ध्यान रखता था की पाठ्यक्रम में से कुछ छूटे नहीं और जो पढ़ा है वह अच्छे से समझ में आये और फिर नियमित रूप से संशोधन और उत्तर लिखने का अभ्यास करता था। साथ ही खुद से सोचता था की कौन कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
प्रश्न- )णात्मक अंकन ;नेगेटिव मार्किंगद्ध के लिए क्या सावधानी बरती?
सिर्फ वही सवाल हल करता था जिसमे या तो सही जवाब पता हो या फिर कम से काम 2 गलत विकल्प हटा दिए हों।
प्रश्न- इस परीक्षा में बैठने का निर्णय लेने के बाद आपका पहला कदम सबसे कठिन होता है। शुरू में तैयारी के लिए आपको सही सलाह कहां से मिली?
मैंने इंटरनेट पर टाॅपर्स के ब्लाॅग और इंटरव्यू पढ़कर और पहले से पढ़ रहे साथियों की सलाह से तैयारी आरम्भ की थी की कौनसी किताबें पढ़नी चाहिए इत्यादि।
प्रश्न- काफी उम्मीदवार मुख्य परीक्षा तो पास कर लेते हैं लेकिन साक्षात्कार में असफल हो जाते हैं, आप का साक्षात्कार कैसा रहा? साक्षात्कार हेतु किस प्रकार की तैयारी की?
मेरा साक्षात्कार अच्छा गया था। मैंने पहले ही इंटरनेट पर देख लिया था की किस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं और उसके अनुसार तैयारी की थी और यह भी पाया की साक्षात्कार में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह होती हैं की आप आत्मविश्वास के साथ जाएँ और जितना आता हो सके खुश रहकर जवाब दें और बाकी प्रभु पे छोड़ दें।
प्रश्न- आप झुझंनू के रहने वाले हैं ? क्या झुझंनू से संबंधित कोई प्रश्न भी इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों ने पूछा?
नहीं, मुझसे झुंझुनू से सम्बंधित कोई प्रश्न नहीं पुछा गया था परन्तु राजस्थान में पानी की किल्लत पर प्रश्न पूछा गया था की ISRO ने इस सम्बन्ध में हाल ही में कौनसी परियोजना शुरू की है।
प्रश्न- आज के बदलते आर्थिक परिदृष्य में निजी क्षेत्र में सेवाओं के लुभावने अवसर उपलब्ध होने के बावजूद आप सिविल सेवाओं में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बाद भी गम्भीरता से तैयारी में लगे रहे, आखिर किस चीज ने आपका जोश बरकरार रखा?
सिविल सेवा देश के विकास में योगदान देने और समाज के लिए कुछ करने का अवसर देती है और सैलरी भी अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए पर्याप्त होती है। यह सब निजी क्षेत्र में काम करके भी किया जा सकता है लेकिन सिविल सेवा में अच्छा काम करने के अवसर ज्यादा होते हैं। मैं इस अवसर को खोना नहीं चाहता था इसलिए अच्छे से तैयारी करने का मन बना लिया।
प्रश्न- आपको किस तरह और कब सिविल सेवाओं की गरिमा एवं महत्व का अनुभव हुआ?
मुझे शुरू से ही अखबार पढ़ने और आस पास की चीज़ों को जानने की उत्सुकता थी जिस वजह से मुझे पता चला की सिविल सेवक देश के प्रशासन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न- आप ने शिक्षा कहां से हासिल की?
मैंने IIT Bombay से कंप्यूटर विज्ञान में B.Tech. एवं मैनेजमेंट में माइनर डिग्री की है।
प्रश्न- आप अपने और अपने परिवार के बारे में कुछ बताएं ?
मेरे पिताजी श्री देवकरण सिंह अभी इनकम टैक्स विभाग में संयुक्त आयकर अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। माँ श्रीमती सुशीला सिंह गृहणी हैं। मेरी दो बड़ी बहनें हैं - प्रीति सिंह पलसानियां एवं स्वाति सिंह और दोनों डाॅक्टर हैं। एक जीजाजी डाॅक्टर महेंद्र पलसानियां कोटपुतली में हैं और जीजाजी डाॅक्टर मंजीत सिंह जयपुर में। मुझे खाली समय में बैडमिंटन खेलना और कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग करना पसंद है।
प्रश्न- सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे यूथ को आप क्या सुझाव देंगें ?
इस परीक्षा की अवधि बहुत बड़ी है, इसलिए यह आवश्यक होता है की हम हर समय एकाग्रता बनाये रखें और परिणाम के बारे में चिंतित होने की जगह मेहनत करने पे ध्यान रखें। बाकि पढ़ने के तरीका तो सबका अलग होता है।
प्रश्न- आज के दौर में अधिकांश बच्चे और युवा मोबाइल, मीडिया और मनी के चलते भटकाव की स्थिति में हैं, क्या आप इस से सहमत हैं?
मोबाइल, मीडिया आदि अपने आप में बुरी चीज़ें नहीं हैं, हमारे ऊपर है कि हम उनसे ज्ञान प्राप्त कर और लोगों से संचार करके उनका लाभ उठाएं या व्यर्थ के काम में आप समय गवाएं। इस तरह से हमें अपने विवेक का उपयोग करते हुए आधुनिक प्रोध्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए।
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