विभिन्न तरह की समस्याओं एवं राजनीतिक प्रपंचों से घिरे इस शहर में जहां लोग अपने आसपास की छोटी-छोटी समस्याओं से दबे हुए हैं वहीं क्षेत्र की इस महिला अधिवक्ता ने जनसमस्याओं को अपनी बुधि चातुर्य और दबंगता से उठाकर ना केवल वकालत के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक और महिलाओं के बौधिक उत्थान के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है। शहर की सफाई से लेकर चिकित्सा-स्वास्थ्य, अपराध, शिक्षा एवं बस-स्टैण्ड, बिजली-पानी जैसी समस्याओं के निराकरण के लिए भी इस ‘प्रतिभा’ ने पुरजोर आवाज उठाई है और उनका निराकरण भी हुआ है। शहर की जनसमस्याओं को लेकर जनहित याचिका लगाने में भी इनका अव्वल स्थान है। क्षेत्र की इस काबिल महिला अधिवक्ता से ‘न्यूज चक्र’ की बातचीत के खास अंश...।
प्रश्न- प्रभा जी, सर्वप्रथम आपको पंजाब केसरी समाचार पत्र द्वारा ‘वुमन केसरी’ का खिताब प्राप्त होने पर हार्दिक शुभकामना।...आप महिला अधिवक्ता हैं और शहर कोटपूतली ग्रामीण परिवेश में ढ़ला हुआ हैं, आपने यहां अपने आपको अपने क्षेत्र में कैसे व्यवस्थित किया?
जवाब- जी हां, कोटपूतली क्षेत्र में शहरी की बजाय ग्रामीण परिवेश की झलक अधिक दिखाई देती है।...तो स्वाभाविक है कि शुरूआत में मुझे भी यहां काफी परेशानी हुई। मेरे पति, जो मुझसे पहले से वकालत कर रहे थे, उनके कार्य पर भी इसका प्रभाव पड़ा। लोग मुझे उनके साथ देखकर हमारी टेबल तक आने में झिझकते थे। लेकिन मैनें स्थिति को भांपते हुए ग्रामीणों से ग्रामीण भाषा एवं आत्मीयता से बातचीत करने के तरीके को अपनाया, और आज हमारी मेहनत और हमारी मंजिल हमारे सामने है।
प्रश्न- आपने कहां तक शिक्षा प्राप्त की है?
जवाब- मैं एम.ए., एलएलबी हूं।
प्रश्न- आप वकील हैं, नियमित प्रेक्टिस करती हैं फिर सामाजिक क्षेत्र की ओर झुकाव या लगाव कैसे हुआ?
जवाब- मैं जब वकालत के लिए घर से निकलती तो सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान जाने लगा, ये समस्याऐं इतनी गंभीर थी लेकिन किसी का ध्यान इस तरफ नहीं था, सबको आंखे बंद कर आगे बढ़ने की आदत पड़ी हुई थी। मैंने कुछ समस्याओं का समाधान ताल्लुक विधिक सेवा समिति में जनहित याचिकायें पेश करके, संबंधित अधिकारियों को नोटिस भिजवाकर के करवाया। कुछ समस्याओं को ज्ञापन व प्रेस विज्ञप्तियों की सहायता से हल करवाया। बस फिर जैसे-जैसे समस्याऐं हल होनें लगी, मेरी इस ओर रूचि बढ़ने लग गयी।
प्रश्न- आपने सामाजिक कार्यों के द्वारा शहर को काफी करीब से देखा है, मैं जानना चाहुंगा कि आपकी नजर में शहर में हो रहे विकास कार्यों की दिशा क्या है?
उत्तर- शहर में इन दिनों काफी विकास कार्य हो रहे हैं। सड़के भी बन रही हैं, हाइवे पर पुल निर्माण का कार्य चालू है। देखने में शहर में विकास हो रहा है लेकिन शहर की मूलभूत समस्याऐं यथा बस-स्टैण्ड, पार्किंग, सीवर लाईन जैसी समस्याऐं तो अभी वहीं की वहीं हैं फिर शहर मंे विकास कार्य हुआ, कैसे कहा जा सकता है।... और फिर हमारे यहां खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम भी नहीं है।
प्रश्न- अच्छा, शहर की बड़ी समस्याओं को छोड़ दें, सिर्फ यहां सफाई व्यवस्था की बात करें तो एक नागरिक होने के नाते क्या आप सफाई व्यवस्था से संतुष्ट है?
उत्तर- शहर में जैसी सफाई है सबके सामने हैं, कहने की आवश्यक्ता नहीं है कि नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी ने कभी शहर का दौरा कर सफाई व्यवस्था का जायजा भी लिया हो!
प्रश्न- एक महिला होने के नाते आप शहर की महिलाओं से क्या अपेक्षा रखती हैं या उन्हें क्या संदेश देना चाहती हैं?
उत्तर- मैं चाहती हूं कि महिलाऐं अपनी ताकत को समझें। आज महिलाऐं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हर समस्या का समाधान है, हौसले के साथ समस्या का सामना करना सीखें।
प्रश्न- प्रभा जी, सर्वप्रथम आपको पंजाब केसरी समाचार पत्र द्वारा ‘वुमन केसरी’ का खिताब प्राप्त होने पर हार्दिक शुभकामना।...आप महिला अधिवक्ता हैं और शहर कोटपूतली ग्रामीण परिवेश में ढ़ला हुआ हैं, आपने यहां अपने आपको अपने क्षेत्र में कैसे व्यवस्थित किया?
जवाब- जी हां, कोटपूतली क्षेत्र में शहरी की बजाय ग्रामीण परिवेश की झलक अधिक दिखाई देती है।...तो स्वाभाविक है कि शुरूआत में मुझे भी यहां काफी परेशानी हुई। मेरे पति, जो मुझसे पहले से वकालत कर रहे थे, उनके कार्य पर भी इसका प्रभाव पड़ा। लोग मुझे उनके साथ देखकर हमारी टेबल तक आने में झिझकते थे। लेकिन मैनें स्थिति को भांपते हुए ग्रामीणों से ग्रामीण भाषा एवं आत्मीयता से बातचीत करने के तरीके को अपनाया, और आज हमारी मेहनत और हमारी मंजिल हमारे सामने है।
प्रश्न- आपने कहां तक शिक्षा प्राप्त की है?
जवाब- मैं एम.ए., एलएलबी हूं।
प्रश्न- आप वकील हैं, नियमित प्रेक्टिस करती हैं फिर सामाजिक क्षेत्र की ओर झुकाव या लगाव कैसे हुआ?
जवाब- मैं जब वकालत के लिए घर से निकलती तो सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान जाने लगा, ये समस्याऐं इतनी गंभीर थी लेकिन किसी का ध्यान इस तरफ नहीं था, सबको आंखे बंद कर आगे बढ़ने की आदत पड़ी हुई थी। मैंने कुछ समस्याओं का समाधान ताल्लुक विधिक सेवा समिति में जनहित याचिकायें पेश करके, संबंधित अधिकारियों को नोटिस भिजवाकर के करवाया। कुछ समस्याओं को ज्ञापन व प्रेस विज्ञप्तियों की सहायता से हल करवाया। बस फिर जैसे-जैसे समस्याऐं हल होनें लगी, मेरी इस ओर रूचि बढ़ने लग गयी।
प्रश्न- आपने सामाजिक कार्यों के द्वारा शहर को काफी करीब से देखा है, मैं जानना चाहुंगा कि आपकी नजर में शहर में हो रहे विकास कार्यों की दिशा क्या है?
उत्तर- शहर में इन दिनों काफी विकास कार्य हो रहे हैं। सड़के भी बन रही हैं, हाइवे पर पुल निर्माण का कार्य चालू है। देखने में शहर में विकास हो रहा है लेकिन शहर की मूलभूत समस्याऐं यथा बस-स्टैण्ड, पार्किंग, सीवर लाईन जैसी समस्याऐं तो अभी वहीं की वहीं हैं फिर शहर मंे विकास कार्य हुआ, कैसे कहा जा सकता है।... और फिर हमारे यहां खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम भी नहीं है।
प्रश्न- अच्छा, शहर की बड़ी समस्याओं को छोड़ दें, सिर्फ यहां सफाई व्यवस्था की बात करें तो एक नागरिक होने के नाते क्या आप सफाई व्यवस्था से संतुष्ट है?
उत्तर- शहर में जैसी सफाई है सबके सामने हैं, कहने की आवश्यक्ता नहीं है कि नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी ने कभी शहर का दौरा कर सफाई व्यवस्था का जायजा भी लिया हो!
प्रश्न- एक महिला होने के नाते आप शहर की महिलाओं से क्या अपेक्षा रखती हैं या उन्हें क्या संदेश देना चाहती हैं?
उत्तर- मैं चाहती हूं कि महिलाऐं अपनी ताकत को समझें। आज महिलाऐं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हर समस्या का समाधान है, हौसले के साथ समस्या का सामना करना सीखें।
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