सोमवार को स्थानीय राजपूताना पी॰ जी॰ काॅलेज की एन॰ एस॰ इकाई प्रथम व द्वितीय के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस पर मुख्य अतिथि पद से स्वयंसेवकों को संबोधित करते हूए स्थानीय तहसीलदार राजेन्द्र सिंह ने कहा है कि उपभोक्ता की जागरूकता से खाद्य व पेय पदार्थों में मिलावट को रोका जा सकता है। तहसीलदार ने कहा कि मिलावट करने वाले दोषियों के खिलाफ हमें उपभोक्ता न्यायालय में वाद दायर करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि भाजपा जिला मंत्री व भारत विकास परिषद् के जिला अध्यक्ष मुकेश गोयल ने कहा कि नवयुवकों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की जानकारी रखकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। अध्यक्षता करते हुए संस्था के प्राचार्य डाॅ॰ एच॰ एन॰ धोलीवाल ने स्वयंसेवकों को खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट के बारे में जन जागृति की बात कही। मंच संचालन दयानन्द गुर्जर ने किया। इस दौरान उपप्राचार्य सुशील सकलानी, व्याख्याता संजय कुमार, कार्यक्रम अधिकारी द्वितीय रघुनन्दन सेन, अन्जु शर्मा, बबीता मित्तल, शारीरिक शिक्षक धर्मवीर चैधरी, वरिष्ठ लिपिक केदारनाथ, हेमराज आर्य, नरेश कुमार, कार्यालय सहायक मुकेश मीणा व सैकड़ों स्वयंसेवकों मौजूद थे।
किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ... कहते हैं हाथों की लकीरों पर भरोसा मत कर , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। जी हां , इस कथनी को करनी में बदल दिया है राजस्थान की कोटपूतली तहसील के नारेहड़ा गांव की 14 वर्षीय मुखला सैनी ने। मुखला को कुदरत ने जन्म से ही हाथ नहीं दिये , लेकिन मुखला का हौसला , जज्बा और हिम्मत देखिए , उसने ‘ करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान ’ कहावत को भी चरितार्थ कर दिखाया है , अब वह अपने पैरों की सहायता से वह सब कार्य करती है जो उसकी उम z के अन्य सामान्य बच्चे करते हैं। कुदरत ने मुखला को सब कुछ तो दिया , लेकिन जीवन के जरूरी काम-काज के लिए दो हाथ नहीं दिये। बिना हाथों के जीवन की कल्पना करना भी बहुत कठिन है , लेकिन मुखला ने इसे अपनी नियति मान कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। हाथ नहीं होने पर अब वह पैरों से अपने सारे काम करने लग गई है। पढ़ने की ललक के चलते मुखला पैरों से लिखना सीख गई है और आठवीं कक्षा में पहुंच गई है। मुखला को पैरों से लिखते देखकर हाथ वालों को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा लेनी चाहिए। 14
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