कोटपूतली के स्थानीय राजपूताना पी॰ जी॰ काॅलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम व द्वितीय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के चैाथे दिन स्वयंसेवकों द्वारा श्रमदान् किया गया। उप प्राचार्य सुशील सकलानी ने बताया कि इकाई प्रथम के स्वयंसेवकों ने गोद ली गई गढ काॅलोनी व द्वितीय इकाई के स्वयंसेवकों ने गोविन्द विहार में श्रमदान् व सफाई कार्य किया। इस दौरान इकाई द्वितीय के कार्यक्रम अधिकारी रघुनन्दन सैन, व्याख्याता संजय कुमार, दयानन्द गुर्जर, महेन्द्र कुमार गुर्जर आदि साथ उपस्थित थे।
किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ... कहते हैं हाथों की लकीरों पर भरोसा मत कर , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। जी हां , इस कथनी को करनी में बदल दिया है राजस्थान की कोटपूतली तहसील के नारेहड़ा गांव की 14 वर्षीय मुखला सैनी ने। मुखला को कुदरत ने जन्म से ही हाथ नहीं दिये , लेकिन मुखला का हौसला , जज्बा और हिम्मत देखिए , उसने ‘ करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान ’ कहावत को भी चरितार्थ कर दिखाया है , अब वह अपने पैरों की सहायता से वह सब कार्य करती है जो उसकी उम z के अन्य सामान्य बच्चे करते हैं। कुदरत ने मुखला को सब कुछ तो दिया , लेकिन जीवन के जरूरी काम-काज के लिए दो हाथ नहीं दिये। बिना हाथों के जीवन की कल्पना करना भी बहुत कठिन है , लेकिन मुखला ने इसे अपनी नियति मान कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। हाथ नहीं होने पर अब वह पैरों से अपने सारे काम करने लग गई है। पढ़ने की ललक के चलते मुखला पैरों से लिखना सीख गई है और आठवीं कक्षा में पहुंच गई है। मुखला को पैरों से लिखते देखकर हाथ वालों को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा लेनी चाहिए...
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