सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गौ-शाला की जमीन पर टिकी भू-माफियाओं की नजर

कोटपूतली। शहर के बानसूर रोड़ स्थित गौ-शाला इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। कारण कि कुछ समाजकंटक लोग यहां दान में आयी जमीन को खुर्द-बुर्द करने में लगे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से यहां भू-माफिया सक्रिय हो रखे हैं और जमीन पर टेड़ी नजरें गड़ाए हुए हैं। अभी हाल ही यहां गौ-शाला के मुख्य द्वार के सामने की जमीन जो की गौ-शाला को दान में मिली हुई है पर गौ-शाला समिति की ओर से गर्मी में गायों के लिए टीन शेड़ लगवाकर छाया करने हेतु निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था, जिस पर कुछ भू-माफियाओं ने अपना हक जताते हुए कार्य बंद करवा दिया?...जबकि समिति के लोगों का कहना है कि उक्त जमीन गौ-शाला की ही है। इस संबध में गौ-शाला समिति के सदस्य रामकंुवार ने बताया कि ‘यहां गायों के लिए टीन-शेड़ लगाकर छाया करने का इंतजाम किया जा रहा था, जिसे कुछ बाहुबली समाजकंटकों ने आकर काम रूकवा दिया। अब हम समिति के सभी लोग इक्ठ्ठा होकर यहां अपनी निगरानी में कार्य करवा रहे हैं। इसी तरह समिति के सरंक्षक हरीशचंद्र चर्तुवेदी व उपाध्यक्ष कैलाशचंद चैकड़ायत व अशोक सुरेलिया ने जानकारी दी।


समिति के संरक्षक ने बताया कि हम गौ-शाला की जमीन को ऐसे ही खुर्द-बुर्द नहीं होने देगें। हम पूरे जी-जान से यहां डटे हुए हैं। जरूरत पड़ी तो कोटपूतली जनता से गौ-शाला बचाओ का आह्नान करेंगे। लेकिन गौ-माता के लिए चारे, पानी व गर्मी में छाया का इंतजाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे।

समिति के सदस्य व युवा रेवॉल्युशन के अध्यक्ष मनोज चैधरी एवं संयोजक मंयक शर्मा ने भी भू-माफियाओं से डटकर मुकाबला करने की बात कही।

टिप्पणियाँ

  1. भाई जान ऐसी ही हालात हमारे यहां बगड़ गौशाला की भी हो रखी है।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

  किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ... कहते हैं हाथों की लकीरों पर भरोसा मत कर , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। जी हां , इस कथनी को करनी में बदल दिया है राजस्थान की कोटपूतली तहसील के नारेहड़ा गांव की 14 वर्षीय मुखला सैनी ने। मुखला को कुदरत ने जन्म से ही हाथ नहीं दिये , लेकिन मुखला का हौसला , जज्बा और हिम्मत देखिए , उसने ‘ करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान ’ कहावत को भी चरितार्थ कर दिखाया है , अब वह अपने पैरों की सहायता से वह सब कार्य करती है जो उसकी उम z के अन्य सामान्य बच्चे करते हैं। कुदरत ने मुखला को सब कुछ तो दिया , लेकिन जीवन के जरूरी काम-काज के लिए दो हाथ नहीं दिये। बिना हाथों के जीवन की कल्पना करना भी बहुत कठिन है , लेकिन मुखला ने इसे अपनी नियति मान कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया है। हाथ नहीं होने पर अब वह पैरों से अपने सारे काम करने लग गई है। पढ़ने की ललक के चलते मुखला पैरों से लिखना सीख गई है और आठवीं कक्षा में पहुंच गई है। मुखला को पैरों से लिखते देखकर हाथ वालों को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा लेनी चाहिए...

जादुई धरातल पर असली मुलाकात, गzेट मैजिशियन शिव कुमार के साथ

आरा मशीन से कटकर दो टुकड़ों में बंट जाते हैं जादुगर शिवकुमार प्रश्न- शिव कुमार जी, जादू क्या है? इससे किस प्रकार लोगों का स्वस्थ मनोरंजन हो पाता है? जवाब- जादू विज्ञान पर आधारित एक कला है, और इस कला को खूबसूरती के साथ पेश करना ही मैजिक है। इसमें सामाजिक संदेश छिपे होते हैं। लोगों को अंधविश्वास से लड़ने की प्रेरणा देता है जादू। इसलिए इससे स्वस्थ मनोरंजन भी होता है। प्र श्न- अगर जादू एक कला है, विज्ञान है तो फिर जो लोग टोने-टोटके करते हैं, झाड़-फूक करते हैं, वो क्या है? जवाब- यह बिल्कुल गलत और झूठ है कि टोने-टोटकों या झाड़फूंक से किसी को वश में किया जा सकता है। तंत्र-मंत्र जादू-टोना कुछ नहीं होता है। अगर जादू से किसी की जान ली जा सकती या दी जा सकती तो सरकार देश की सीमाओं की रक्षा के लिए एक जादूगर को नियुक्त कर देती और किसी को शहीद होना नहीं पड़ता। ...लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता है। जादू से सिर्फ एक स्वस्थ मनोरंजन हो सकता है, ऐसा मनोरंजन जिससे डिप्रेशन का मरीज भी ठीक हो जाता है। प्रश्न- ...तो जादू के शो के माध्यम से आप किस प्रकार के संदेश समाज को देते हैं? जवाब- हम अपने शो में लड़की को गायब क...

लापरवाही का शिकार गांव बनेटी, सभी सुविधाऐं होने के बावजूद उनका उपयोग नहीं कर पा रहे ग्रामवासी