कल यानी 28 मई को, राजस्थान के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के पेज 2 और 3 पर दो अलग-अलग कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन थे। जिनमें से एक कोटा का प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान ऐलन था व दूसरा दिल्ली का प्रमुख कोचिंग संस्थान माना जाने वाला ‘आकाश। अब यहां देखने वाली बात यह थी कि दोनों के विज्ञापनों में ऐसी समानता थी कि जिसने भी गौर से देख लिया उसका सिर घूम गया। दोनों संस्थानों के विज्ञापनों में 3 छात्रों की फोटो समान रूप से लगी हुई थी, तो देखने वालों को अब समझ नहीं आ रहा था कि ये छात्र असलियत में हैं कौनसे संस्थान के ?
प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान झूठी लोकप्रियता हासिल करने के लिए कैसा-कैसा ‘कृत्य’ करते हैं, देखकर दुःख हुआ। अब ऐसे छात्र या अभिभावक जिन्होंने उक्त विज्ञापनों को गौर से नहीं देखा होगा, वे तो उन संस्थानों के रिजल्ट को बेहतर मान रहे होगें। लेकिन उन्हें क्या पता कि सरेआम उनकी आंखों में धूल झोंकी जा रही है।
शिक्षा भी अब पूरी तरह बाजारू हो चुकी है, शिक्षा के व्यापारी ग्राहक छात्र और उनके अभिभावकों को लूट लेने पर आमदा हैं। लेकिन इसमें किसी हद तक मीडिया भी जिम्मेदार हैं। विज्ञापनों की चकाचैंध ने उन्हें भी अंधा कर दिया है। पैसे की चमक की आड़ में लोग क्या छपवा रहे हैं, यह तो उन्हें भी दिखाई नहीं दे रहा है। अब इन विज्ञापनों के जरिये कितने छात्र और अभिभावक ठगे जाएगें...यह तो ठगने वाले जानें, पर इतना जरूर कहना चाहुंगा कि आप जो भी पढ़े, गौर से पढ़े और जहां भी पढ़ें, अच्छी तरह जांच पड़ताल कर पढ़े। क्योंकी ऊंची दुकानों पर अक्सर फीके पकवान ही मिला करते हैं।
aapne bhout achi baat bati, ye coching wale sabko bavkoof banate hai. inehe saza milene chaiya.
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